राजस्थान की सांस्कृतिक परम्पराएँ

शनिवार, 19 अगस्त 2023

राम भजो विश्वास राखजो

 राम भजो विश्वास राखजो, सायब भीडू थांको

राम भजो डर काहे को ।।टेर।।

श्रीयादे मात सेवा में बैठा,ध्यान धरे धणीयो को

चार बर्तन प्रभु कोरा राखिया, आखो निवाडो पाको ॥1।।

          राम भजो डर काहे को...........टेर

कैरव पांडवो रे भारत रसीओ, आयो मरण रो हाको ।

पांडवो रे बेले रामजी पदारिया,बाल ना कीनो वाको ॥2।।

          राम भजो डर काहे को...........टेर

रामजी रो नाम लेवा नी देव, ओई हिरणाकुश वंको ।

खम्ब फाड़ नरसिंह रूप धरियो,पसे फ़ाडीओ बाको ।।3।।

          राम भजो डर काहे को...........टेर

रण भारत में टीटोडी रा बसिया धूजै कालजो मॉँ को ।

वीर घंट बसिया पर पड़ियो, हमे बाण भले फेंको॥4।।

          राम भजो डर काहे को...........टेर

चोरी करेन सीताजी ने लेगा रावण कीनो थोको।

बीस भुजा रावण री तोड़ी ,पतो नि लगो वको ॥5।।

          राम भजो डर काहे को...........टेर

जीयाराम गुरु पुरा मिलिया पथ बतायो मोने वाको।

कहे बन्नानाथ सुणणो भाई संतों जोर नी लागे थाको ॥6।।

          राम भजो डर काहे को...........टेर

हर भज हर भज हीरा परख ले

 हर भज हर भज हीरा परख ले, समझ पकड़ नर मजबूरती।

साचा समरन करो सायब रा, और बारता सब झुठी ।। टेर।।

इन्द्र घटा ज्यूँ म्हारा सतगुरु आया, अमृत बुंदा हृद बूटी ।

त्रिवेणी के रंग महल में साधा लाला हद लूटी ॥1।।

          साचा सिमरण करो सायब रा .......... टेर

इण काया में पाँच चोर है, जिनकी पकड़ो सिर चोटी ।

पाँचो ने मार पच्चीस वश करले जद जाणा तेरी रजपुती ॥2।।

          साचा सिमरण करो सायब रा .......... टेर

संत सुमरण का सैल बणाले, ढाल बणाले धीरज की।

काम, क्रोध ने मार हटा दे, जद जाणु थारी मजबुती ॥3॥

          साचा सिमरण करो सायब रा .......... टेर

झरमर-२बाजा बाजै, झिलमिल ज्योतो वे जलती।

ओंकार पर रणोकार है हँसला चुग गया निज मोती ॥4।।

          साचा सिमरण करो सायब रा .......... टेर

पक्की घड़ी का तोल बणाले, काण ने राखो एक रती।

गुरु चरणे मछेन्द्र बोले, अलख लख्या सो खरा जती ॥5।।

          साचा सिमरण करो सायब रा .......... टेर


चोला संतोषी पेहरिया


सोला संतोषी पेरिया ज्ञान गेरू में रंगिया।

सुमता री चादर ओढ, अंग पे भभूत रमाया।।1।।

   वणिया वैरागी हरि नाम रा हरि गुण होरे गुण गाय

  सतगुरु म्हां पर मेहर करी,गुरू माने ज्ञान बताया रे हा

मन रा कीना मणकला तन डोरा में पोया।

घट में माला फेरता नाम निगे कर जोया ॥2।।

       वणिया वैरागी हरि नाम रा .......... टेर

शील लंगोटा हेरिया खमिया पावडी चढिया।

जरणो री झोली डाल दी निर्गुण रोटी लाया ॥3।।

       वणिया वैरागी हरि नाम रा .......... टेर

दया धर्म री आ मंडली तीन पाँच समझाया।

बगसो खाती बोलियाँ इण विध जोग कमाया ॥4।।

       वणिया वैरागी हरि नाम रा .......... टेर


यह भी देखें -

1. https://rajasthanigeetbhajan.blogspot.com/2023/08/blog-post_33.html

दो'रो घणो सासरियो

 सीखड़ली---

कानदान  जी कल्पित 


डब-डब भरिया, बाईसा रा नैण ,

चिड़कली रा नैण,लाडलड़ी रा नैण,

तीतरपंखी रा नैण,सूवटड़ी रा नैण,

दो’रो घणो सासरियो ॥

       मायड़ जाण कळेजै री कोर,

     फ़ूल माथै पांख्यां धरी ।

     माथै कर-कर पलकां री छांय,

     पाळ-पोस मोटी करी॥

राखी नैणां री पुतळी जाण,

मोतीड़ा सूं महंगी करी ।

कर-कर आघ,

लडाई घण लाड,

भरीजी मन गाढ,

जीवण मीठो ज़हर पियो,

दो’रो घणो सासरियो ॥

डूबी सोच समंदड़ै रै बीच,

तरंगा में उळझ परी।

जाणै मोत्यां बिचली लाल,

पल्लै बंधी खुल परी ।

भरियो नैणां ममता-नीर,

लाडलड़ी नै गोद भरी ।

जागी-जागी कळैजै री पीड़,

हिय सूं लीवी भीड़ ,

गरळ-गळ हिवड़ो भरियो,

दो’रो घणो सासरियो ॥

भाभीसा काढ काजळियै री रेख,

संवारी हिंगळू मांगड़ली ।

बीरोसा लाया सदा सुरंगो बेस,

ओढाई बोरंग चूंदड़ली ।

बाबोसा फ़ेरियो माथै पर हाथ,

दिराई बाई नै सीखड़ली ।

ऊभो-ऊभो साथणियां रो साथ,

आंसूड़ा भीज्यो गात ,

नैणां झड़ ओसरियो,

दो’रो घणो सासरियो ॥

करती कळझळ हिवड़ै रा दो टूक,

कूंकूं पगल्या आगै धरिया ।

कायर हिरणी-सी मुड़-मुड़ देख ,

आंख्यां माथै हाथ धरिया ।

मुखड़ो मुरझायो बिछडंतां आज ,

रो-रो नैण राता करिया ।

चांद-मुखड़ै उदासी री रेख ,

डुसक्यां भरती देख,

सहेल्यां गायो मोरियो,

दो’रो घणो सासरियो ॥

रथड़ै चढती पाछल फ़ोर,

सहेल्यां नै झालो दियो ।

कूंकूं-छाई बाजर हरियै खेत,

जाणै जियां झोलो बियो |

छळक्या नैण घूंघटियै री ओट,

काळजो काढ लियो ।

काळी-काळी काजळियै री रेख,

मगसी पड़गी देख,

नैणां सूं ढळक्यो काजळियो,

दो’रो घणो सासरियो ॥

मनण-रूठण रा आणंद उछाव,

हियै रै परदै मंडता गिया ।

सारा बाळपणै रा चित्राम,

नैणां आगै ढळता गिया ।

बिलखी मावड़ नै मुड़ती देख, 

विकल नैण झरता गिया ।

करती निस-दिन हंस-किलोळ,

बाबोसा-घर री पोळ,

ढ्ल्या रो रमणो छूट गियो,

दो’रो घणो सासरियो ॥

लागी बालपणै री प्रीत,

जातोडी जीवड़ो दो’रो कियो ।

रेसम रासां नै दी फ़णकार,

सागड़ी नै रथड़ो खड़यो ।

धरती अम्बर रेखा रै बीच,

सोवन सूरज डूब गियो ।

दीख्या-दीख्या सासरियै रा रूंख,

रेतड़ली रा टूंक,

सौ कोसां रहग्यो पीवरियो ,

दो’रो घणो सासरियो ॥

डब-डब भरिया, 

बाईसा रा नैण ,

चिड़कली रा नैण,

लाडलड़ी रा नैण,

तीतरपंखी रा नैण,

कोयलड़ी रा नैण ,

सूवटड़ी रा नैण,

दो’रो घणो सासरियो ।।

एड़ा सतगुरु जोई

 मन ऐडा सतगुरु जोई

भक्ति योग ने ज्ञान वैरागा,शिलवान निर्मोई 

मन रे एड़ा सतगुरु जोई ।।टेर।।

पर उपकार सदा हित कारण आया जग रे माई।

दे उपदेश दया कर दाता जन्म मरण दुःख धोई ॥1।।

          भक्ति योग ने ज्ञान वैरागा.............टेर

पर निंदा स्तुति तज दोनो हरक शौक नही होई।

दीन दयाल दया रो सागर जन्म मरण दुःख धोई॥2।।

          भक्ति योग ने ज्ञान वैरागा.............टेर

देय अभिमान भेख रो बड्पन रज मात्र ना होई।

सम द्रष्टि चारो पर देखे क्या मित्र क्या द्रोही ॥3।।

          भक्ति योग ने ज्ञान वैरागा.............टेर

कहे कबीर संत है विरला लादे जग रे माई।

पारस भँवर चनण सत्संगा, एवा करले सोई॥4।।

          भक्ति योग ने ज्ञान वैरागा.............टेर

रमता रावल आया

 रमता रावल आया शहर मे

शहर में रमता रावल आया,जुना जोगी आया। टेर।

पाँचों रा भूप पच्चीसो न्याति एक जरणी रा जाया।

गुण अवगुण से न्यारा खेले अपना रूप  छिपाया॥1।।

          शहर में रमता रावल आया........ टेर

कुण घर सोवो कुण घर जागो कुण में रे वो समाया।

किये पुरूष रा ध्यान धरो,किणे थाने शब्द सुणाया ॥2।।

          शहर में रमता रावल आया........ टेर

सहि घर सोवो भौण घर जागो सुन में रेवो समाया।

अलख पुरुष रा ध्यान धरा सतगुरु शब्द सुणाया ।।3।।

          शहर में रमता रावल आया........ टेर

जागा वो नर प्रेम पद पाया सुतोड़ा ने जम ले जाया।

कहत कबीर सुणो भाई संतों अगम संदेशों लाया ॥4।।

          शहर में रमता रावल आया........ टेर

भलो वै ला भगवत ने भजियों

 सरियादे मात सेवा में बैठा विलखी फिरे मंजारी,

के तो बसिया परा उबारो, काया होम दूं मारी, 

रोम रो राख भरोसो भारी ।।1।।

टेर:-भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने

सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

 ध्रुव पेहलाद जुगत कर झाली, झाली सेवना तुमारी,

भगतो रे काज भूप ने दलिया नरसिंग रूप थे धारि।।2।।

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

चढ़िया राम लूटन गढ़ लंका पल में लंका जारी,

रावण मार विभीषण थापियो, प्रीत आगली पाली।।3।।

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

गज अरु ग्राह लड़े जल भीतर लड़त लड़त गज हारी, 

तल भर सूंड रही जल बाहर रामो राम पुकारी

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

सुनी पुकार वार सढिया गज री , गरुड़ तणी असवारी

सकर चलाय हरी फंद कटिया, डूबत गज ने तारी

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

इंदर कोप कियो बृज ऊपर बरसिया मूसल धारी,

गोप ग्वालियो ने तार लिया,केवाया आप गिरधारी 

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

इतरो देख विस्वास झालीयो झेली सेवना तुमारी 

गुरु खिवजी माली लिख्मोजी बोले,भव संगरिया में तारी 

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

कहणा सुण ले मेरा

 मन थू कैणा कर ले गुरो रा,

जो तुम केणा करो गुरो रा कट जावे,

बंधन तेरा मन रे केणा सुण ले मेरा।। टेर ।।

अवगुण तजो गुण ने पकडो मिट जाई घोर अंधेरा।

सुरत शब्द से तार मिलावो रे कटे जन्म रा फेरा ।। 1 ।।

              कहणा सुण ले मेरा ............ टेर

निन्द्रा झुठ कपट ने त्यागो नहीं आवे जमडा नेडा।

सतरी संगत चेतन रेणा वटे अमिरस वरसे गेरा ॥2।।

              कहणा सुण ले मेरा ............ टेर

उंडा उंडा नीर अतंग जल भरिया है अम्रत वेरा।

सुगरा वो भर भर पीव नुगरो रा खाली फेरा ॥3।।

              कहणा सुण ले मेरा ............ टेर

आगली पाछली कर ले खबरिया क्या तेरा क्या मेरा ।

हेमनाथ सुणो भाई संतों ज्योरा अमरलोक मे डेरा ॥4।।

              कहणा सुण ले मेरा ............ टेर


बुधवार, 16 अगस्त 2023

म्हे तो उन संतो रो दास

में तो उण रे सन्तो रो कहिजूँ दास,

जिन्होंने मन मार लिया। टेर 

 मन मारया तन वश किया जी,

करी भरमाना दूर।

बाहर तो कुछ दिखत नाही,

अंदर झलके वारे नूर।। 1 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

आपा मार जगत में बैठा

नहीं किसी से काम।

उण में तो कुछ अंतर नाही,

संत कहो जी चाहे राम।। 2 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

प्याला पिया प्रेम का जी,

छोड्या जग का मोह।

म्हाने सतगुरु ऐसा मिलिया,

सहजा ही मुक्ति होय।। 3 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

नरसी जी रा सिमरथ सामी,

दिया अमी रस पाय।

एक बून्द सागर में रळगी,

क्या करे रें यमराज।। 4 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

एड़ा कोई संत मिले

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले,

  ज्योने देखिया नैण ठरे ।।टेर।।

निर्मल नैण वैण ज्योरा निर्मल

मन माहीं धीरब धरे।।1।।

वारि जाऊ मन रे ऐडा माने सन्त मिले

ज्योने देखिया नैण ठरे

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले

सील संतोष दया मन राखे

जीवो पर दया वे करें।।2।।

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले

ज्योने देखिया नैण ठरे

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले।।

ज्ञान गुणा रा सतगुरु बालद भर लावे

हीरलो रो चुण करें ।।3।।

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले

ज्योने देखिया नैण ठरे

वारि जाऊ मन रे ऐडा माने सन्त मिले

दोय कर जोड़ माली लिखमोजी बोले

भव सू पार करें ।।4।।

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले

ज्योने देखिया नैण ठरे

वारि जाऊ मन रे ऐडा माने सन्त मिले


सतगुरु चरणे जाय

 सतगुरु चरणे जाय हरि गुण गाणा 

सतगुरु शरणे जाय हरि गुण गाणा

अवसर वितों जाय देर नी करणा ॥ टेर ।।

नर नारायण री देह मुश्किल मिलणा।

सत को लेवो विचार असत को हरणा ॥ 1 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर

तेरा धन जोबन परिवार अटे नी रेणा।

जातो नी लागे वार साच सुण लेना। 2 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर

माया रो अभिमान कभी नी करणा।

जो करेला अभिमान चौरासी में पड़ना ॥ 3 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर

उतरोला भव सू पार लेवो गुरु चरणा।

सच केवे इशर राम यू भव सू तरणा ।। 4 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर


लागे मोहे राम प्यारा

 लागे ओ माने राम पियारा रे।

प्रीत तजी संसार की मन हो गया न्यारा रे,

लागे ओ माने राम पियारा रे।। टेर  ।।

सतगुरु शब्द सुणाविया, गुरू ज्ञान विचारा रे।

भ्रम तिमर सब भागिया, होवे घट उजियारा रे ।।1।।

            लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर 

मैं बंदा उस ब्रह्म का ज्यारा वार नी पारा रे ।

ताहिं भजे कोई साधवा जिने तन मन वारा ओ ।।2।।

           लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर 

चाख चाख फल छोडिया माया रस खारा रे ।

राम अमि रस पिजिए नित वारमवारा रे ।। 3 ।।

           लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर 

आन देव ने ध्यावसी ज्योरे मुख सारा रे ।

राम निरंजन ऊपरे किया मन ने न्यारा रे ।। 4 ।।

लागे ओ माने राम पियारा रे

सन्तो री गति न्यारी

 संतो री गति न्यारी रे, संतो री गति न्यारी जग में।

जप तब नेम व्रत और पूजा प्रेम सभी से भरी ।। टेर ।।

जाती वर्ण हरि राखी वे तो, गणिका ने क्यों तारी रे ।

शिवरी जात री भीलनी कहिजे कुटिल कुल नारी ॥ 1 ।।

          संतो री गति न्यारी जग में ............ टेर

जात जलावो नाम कबीरो, भाया करी कलाली ।

वण वणजारो बालद ले आयो, आपो आप मुरारी ॥ 2 ।।

          संतो री गति न्यारी जग में ............ टेर

धना भगत ओर कालू सेना, नामो नाम हजारी रे ।

कर्मा जाटणीमीरा बाई,  कई हो गया भव से पारी ॥ 3।।

          संतो री गति न्यारी जग में ............ टेर

पांचो पांडवो यग रसायो, सब मिल करी तैयारी रे ।

वाल्मीकि विन काज न सरियो, बाजियों संख सुजारी ॥ 4 ।।

          संतो री गति न्यारी जग में ............ टेर

वेद पुराण भागवत गीता, सब मिल आई पुकारी।

केह सुखदेव सुणो गुरूदाता, काज किना रे मुरारी ॥ 5 ।।

          संतो री गति न्यारी जग में ............ टेर

रविवार, 13 अगस्त 2023

भली करी गुरु दाता

 गुरु महिमा भजन

भली करी गुरु दाता, जिव राख्यो चौरासी में जाता।

भूलू नहीं लाखो बाता, म्हारे गुरु वचनो रा नाता।। टेर।।

करम गली में आयो, करमां सु काठो लगायो।

गुरु बचा लियो दोनूं हाथां , म्हारे गुरु वचनो रा नाता।।1।।

        भली करी गुरु दाता..............टेर

पगां तणो पांगलियो, म्हारा सतगुरु हेलो सांभळियो।

नहीं तो रन वन में रह जाता, म्हारे गुरु वचनो रा नाता।।2।।

       भली करी गुरु दाता..............टेर

आँख्यां छतो अंधारो, गुरु भूण्डो हाल हमारो।

सत्संग रा खेल बताया म्हारे गुरु वचनो रा नाता।।।3।।

       भली करी गुरु दाता..............टेर

मोह माया री नदी है भारी, जिण में बह गयो कई वारि।

गुरु बचा लियो बह जाता, म्हारे गुरु वचनो रा नाता।।।4।।

       भली करी गुरु दाता..............टेर

सतगुरु सेण बताई, साधु सिमरथ राम सुधि पाई।

गुरु चरणों में माथा रे, म्हारे गुरु वचनो रा नाता।।5।।

       भली करी गुरु दाता..............टेर

सतगुरु ने बलिहारी

 राजस्थानी गुरु महिमा भजन

दोहा - सतगुरु बिना सोझी नहीं, सोझी सब घट माय।

        रज्जब मक्की रा खेत री, चिड़ियां ने गम नाय।।

टेर - बंधन काट किया निज मुक्ता, सारी विपदा निवारी, 

       जाऊँ म्हारा सतगुरु ने बलिहारी।।

वाणी सुणत प्रेम सुख उपज्या, दुर्मति गयी हमारी।।

भरम करम रा साँचा मेटिया, दीना कपाट उघाड़ी।।1।।

              जाऊं म्हारा सतगुरु ने .............. टेर

माया ब्रह्म रा भेद समझाया, सोहम लिया विचारी।

आद पुरुष घट भीतर देखिया, दुविधा दूर विदारी।।2।।

              जाऊं म्हारा सतगुरु ने .............. टेर

दया करी म्हारा सतगुरु दाता, अबके लिया उबारी।

भव सागर सूं डूबत तारयो, एड़ा पर उपकारी।।3।।

              जाऊं म्हारा सतगुरु ने .............. टेर

गुरु दादू रे चरण कमल पर, मेलू शीश उतारी।

और भेंट क्या कर राखूं, सुन्दर भेंट तुम्हारी।।4।।

              जाऊं म्हारा सतगुरु ने .............. टेर


गुरुजी पाय लागूं सबद सुनाय दीजो

 गुरु महिमा भजन

गुरुजी पाय लागूं सबद सुनाय दीजो।

सुनाये दीजो समझाये दीजो, गुरुजी पाए लागू

सबद सुनाये दीजो ।। टेर ।।

जल की लहर उठे म्हारे दिल मे, 

    तन री तपन बुझाये दीजो।। 1।।

               गुरुजी पाए लागूं ............ टेर

घट में अंधेरो दाता, बाहर नही सूझे,

      शबदो री जोत जगाये दीजो।।2।।

               गुरुजी पाए लागूं ............ टेर

असंग जुगों रो सूतो म्हारो हँसलो,

      सुतोड़ा ने आय जगाये दीजो।।3।।

               गुरुजी पाए लागूं ............ टेर

धरमी दास री अरज वीणती,

     काग सूं हंस बनाये दीजो।।4।।

               गुरुजी पाए लागूं ............ टेर


शनिवार, 12 अगस्त 2023

भगति रो बाग लगावो (Bhajan)


 

गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी

 गुरु महिमा भजन

गणपति सुरसति शारद सिंवरु, दीजो अनुभव वाणी। 

परसत परसत पीर परासिया, परसी पीरों री सेलाणी।। 1 ।।

      आज म्हाने गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी।

ज्ञान सुनाय कियो हरि नेडो, बात आगम री जाणी।।

आज म्हाने गुरु मिलिया ब्रह्म ज्ञानी ।। टेर ।।

दिल में दरसिया प्रेम सूं परासिया, सतगुरु री सैलानी।

अगम निगम रा भेद बताया, आद जुगत ओलखाणी।। 2।।

      आज म्हाने गुरु मिलिया ..........

अल्ला खुदा अलख निरंजन, निराकार निर्वाणी।

हरदम हेर घेर घर लावो, मिल गयी सात सेलाणी।। 3।।

         आज म्हाने ..............

गुरु अवधूता पूरा मिलिया, गुरु मिलिया गम जाणी। 

कहे हेमनाथ, सतगुरुजी रे चरणे, नेचे सूरत समाणी।।4।।

        आज म्हाने..........   

शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

धेन दास ब्राह्मण की कथा लीरिक्स (Dhen Das Brahman ki katha Lyrics)

धेन दास ब्राह्मण की कथा [हिन्दी मे ]

 मेहर हुई जद मेले मिलियो, परमेश्वर म्हाने पुत्र दियो।

लागा पाप पुरबला भव रा, पुत्र पियाणो सुरग कियो।।  1

धेनदास मति करो कलपना, इण मारण संसार गियो।।

जनम मरण रा आदू मारग, भोळिया भगत म्हारो मान कहयो।। टेर ।।

पत्नि आय पास में बैठी, भोमि पर पोढाय दियो।

धेनो ध्यान धरियों धणियों रो, गोविन्द उपर गुस्सो कियो।। 2

                धेनदास मति करो कलपना ................................

सारी रैण गहण ले बैठो, सैठो मतो सधीर कियो।

पौ फाटी पाडोसी आया, दागण रो सैमोन कियो।। 3

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

धैनो केवे धीरप थे धारो, थे पिछतावो कियों कियो।

म्हारे पुत्र ने म्हे ही दागूंला। कै दागेला जिणे दियो।। 4

है विश्वास भरोसो भारी, अलख उणायत पूरेला।

पत राखी पैलाद ने उबारियो, वो ही पुत्र ने तारेला।। टेर ।।

अलख पुरी से आया अविनाशी, झट ब्राहमण रो वेश कियो।

धेनदास रे धाम पधारया, धिक धेना मुरदो दागण नीं दियो।। 5

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

धेनो कैवे धिरक हैं उणने, जिकण म्हाने पुत्र दियो।

दियो तो पाछो क्यूं लियो, इण कारण मुरदो दागण ना दियो। 6

                         है विश्वास भरोसो भारी .....................................

वे माता ज्यारे दाणो दळती, नव ग्रह जिणरे लिखिया पटे।

चांद सूरज मैहलों रा दिवला, दश मस्तक वालो रावण कठै।। 7

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

मंजारी नेवा में ब्याही, नेवा में अगनी लगाय दियो।

हाथ जोड़ सरिया दे रटियो, अग्नि में बाग लगाय दियो।। 8

                         है विश्वास भरोसो भारी .....................................

साठ हजार पुत्र सागर रे होता, पीतो नीर नित नयो नयो।

एक पलक में धरती गिट गयो, जगत पति सूं धेना कुण जीतियो।। 9

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

गज और ग्राह लड़े जल भीतर, ग्राह गज ने दबाय लियो।

रति एक सूढ रही जल बाहर, अर्द्ध  नाम उबार लियो।। 10   

                        है विश्वास भरोसो भारी .....................................

हरिचन्द्र राजा राणी तारादे, काशी नगर में कुटुम्ब बिकियो।

रोहिताश ने विषधर डसियो, कुण मेटे धेना करम लिखियो।। 11

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

झूठो कलंक तारा ने लागो, सिर काटण रो हुकम दियो।

हरिचन्द तेग वेग ले कोपियो, पड़ियो पैला पकड़ लियो।। 12

                         है विश्वास भरोसो भारी .....................................

भीम सरीखा बलवन्त जोधा, जेठळ सरीखा सती सुत जाया।

पांच पुत्र कुन्ता रा गलिया, अमर पट्टो धेना कुण लाया।। 13

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

इन्दर गयो गौतम रे महलां, अहिल्या ने प्रभु श्राप दियो।

जाय पापणी पत्थर होई जा, पत्थर में प्रभु प्राण दियो।। 14

                         है विश्वास भरोसो भारी .....................................

अभिमन्यु सीखियो अधूरी विद्या, चक्रव्यूह मे जाय पड़ियो।

राजा अर्जुन राणी सहोदरा, रोय रोय कितरो रूदन कियो।। 15

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

अधर आकाशां सिकरे हेरियो, तले शिकारी तीर लियो।

प्रभु प्राण पपीहे ने दीनो, सिकरा ने तीर सू घायल कियो।। 16

                         है विश्वास भरोसो भारी .....................................

माता पेपावती पिता जुगजीता, श्रवण जैसा पुत्र हुता।

मामा रे हाथ भाणेजो मारियो, एड़ा पुत्र धेना हुआ किता।। 17

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

साहू सिमन चोरी कर चाल्या, सिमन सुत पकड़ीज गयो।

काट्योड़ो शीश सूली पर पड़ियो, सूली पर सरजीत कियो।। 18

                         है विश्वास भरोसो भारी .....................................

लेकर लाश चौवटे न्हाटो, जाय बाजारों वेदो कियो

पुत्र लेय जननी ने दे दे, थारो पुत्र धेना नहीं मुओ 19

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

ब्राहमण कुल भगत कैवायो, धिन धेना थे भजन कियो।

करणी काज गोविन्द घर आया, मरियोड़ो पुत्र जिवाय दियो।। 20

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

अलख निरंजन भव दुख भंजन, गोविन्द रा गुण गावेला।

बगसीराम कैवे वो ही साधु अमर धाम वो पावेला।। 21                     

                        धेनदास मति करो कलपना ................................

राम भजो विश्वास राखजो

 राम भजो विश्वास राखजो, सायब भीडू थांको राम भजो डर काहे को ।।टेर।। श्रीयादे मात सेवा में बैठा,ध्यान धरे धणीयो को चार बर्तन प्रभु कोरा राखिया...