राजस्थानी सोरठ एवं प्रभाती भजनों का संग्रह
I सोरठ राग के भजन
भजन संध्या एवं सत्संगए जागरण में प्रत्येक भजन को समयानुसार एवं प्रसंगानुसार गाया जाता हैं द्य रात्रि के २.०० बजे के पश्चात् जब आधी रात ढल जाती है तब सोरठ राग में भजन गाये जाते हैं | सोरठ राग के सम्बन्ध में एक प्रचलित दोहा इस प्रकार हैं .
दोहा - सोरठ राग सुहावणी ए मत छेड़े परभात |
उड़ता पंछी गिर पड़े ए माता बाळ भुलाय ||
ख्भावार्थ . सोरठ राग इतनी मीठी ए सुहानी और हृदय को बेधने वाली होती है कि इस राग को सुनकर वैराग्य जाग जाता है य उड़ते हुए पक्षी भी इस राग को सुनकर भाव विह्वल होकर गिर पड़ते हैं और माताएं अपने बच्चों को भूलकर इस राग में मग्न हो जाती हैं| इसलिए इस राग को कभी भी सुबह के समय नही गाना चाहिए ,
मन को भीतर तक झकझोर देने वाली इस सोरठ राग के कुछ लोकप्रिय भजन
1. किण विद राखेला राम
दोहा- सोरठ मीठी रागणी, मत छेड़े प्रभात।
उड़ता पंछी गिर पड़े, कै उठे वैराग।।
कांई जाणुं किण विद राखेला राम ।। टेर ।।
हरिया डाल दोई पंछी बैठाए रट रह्यो रामजी रो नाम ।1।
कांई जाणुं किण विद ...........................
नीचे पारधी ने बाण सांधियोए उपर घूमे सुसाण ।2।
कांई जाणुं किण विद ..............................
दुष्ट पारधी ने नाग डसियो, सिकरा रे लागो बाण।3।
कांई जाणुं किण विद .................................
बाई मीरा गावे प्रभु गिरधर रा गुण, पंछीड़ा रे भयो आराम ।4।
कांई जाणुं किण विद ............................
2. राम गुण कैसे लिखुं,
दोहा-. सोरठ रो दूहो भलो, कपड़ो भलो रे सफेद।
ठाकर तो दातार भलो, घोड़ो भलो रे कमेद।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं, लिखियो नी जाय ।।टेर।।
सात समन्द री रामा स्याही मंगा दूं रे, कलम करूं वनराय।।1।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं...............................
कलम भरूं तो रामा कर म्हारा कांपै रे, नैणों में रह्यो जल छाय।।2।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं..................................
प्राणपति तो म्हारा अजहू नी आया रे, कानूड़ा ने दीजो समझाय।।3।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं.................................
बाई मीरां गावै प्रभु गिरधर रा गुण रे, चरण कंवल लिपटाय।।4।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं..................................
3. भीलणी थारे द्वारे आया
दोहा- रागां रो पति सोरठो, बाजां रो पति बीण
देशां पति है मालवो, शहरां पति उजैण
भीलणी थॉंरे द्वारे आया, श्री भगवान।।टेर।।
वन वन फिरता राम, दोनों भईया रे, आया है शिवरी रो धाम।।1।।
भीलणी थॉंरे द्वारे..................................
आसन बिछायी रामा परकमा दीनी रे, बैठा बैठा लिसमण राम ।2ं।।
भीलणी थॉंरे द्वारे..................................
चरण खोळ रामा चरणामृत लीनो रे, लुळ लुळ करे है प्रणाम ।।3।।
भीलणी थॉंरे द्वारे...................................
सरजू रो नीर रामा निर्मल कीनो रे, सारे सारे ऋषियों रा काम ।।4।।
भीलणी थॉंरे द्वारे.......................................
तुलसी दास रामा भीलणी बड़ भागण रे शिवरी रटियो रामजी रो नाम ।।5।।
भीलणी थॉंरे द्वारे..........................................
I सोरठ राग के भजन
भजन संध्या एवं सत्संगए जागरण में प्रत्येक भजन को समयानुसार एवं प्रसंगानुसार गाया जाता हैं द्य रात्रि के २.०० बजे के पश्चात् जब आधी रात ढल जाती है तब सोरठ राग में भजन गाये जाते हैं | सोरठ राग के सम्बन्ध में एक प्रचलित दोहा इस प्रकार हैं .
दोहा - सोरठ राग सुहावणी ए मत छेड़े परभात |
उड़ता पंछी गिर पड़े ए माता बाळ भुलाय ||
ख्भावार्थ . सोरठ राग इतनी मीठी ए सुहानी और हृदय को बेधने वाली होती है कि इस राग को सुनकर वैराग्य जाग जाता है य उड़ते हुए पक्षी भी इस राग को सुनकर भाव विह्वल होकर गिर पड़ते हैं और माताएं अपने बच्चों को भूलकर इस राग में मग्न हो जाती हैं| इसलिए इस राग को कभी भी सुबह के समय नही गाना चाहिए ,
मन को भीतर तक झकझोर देने वाली इस सोरठ राग के कुछ लोकप्रिय भजन
1. किण विद राखेला राम
दोहा- सोरठ मीठी रागणी, मत छेड़े प्रभात।
उड़ता पंछी गिर पड़े, कै उठे वैराग।।
कांई जाणुं किण विद राखेला राम ।। टेर ।।
हरिया डाल दोई पंछी बैठाए रट रह्यो रामजी रो नाम ।1।
कांई जाणुं किण विद ...........................
नीचे पारधी ने बाण सांधियोए उपर घूमे सुसाण ।2।
कांई जाणुं किण विद ..............................
दुष्ट पारधी ने नाग डसियो, सिकरा रे लागो बाण।3।
कांई जाणुं किण विद .................................
बाई मीरा गावे प्रभु गिरधर रा गुण, पंछीड़ा रे भयो आराम ।4।
कांई जाणुं किण विद ............................
2. राम गुण कैसे लिखुं,
दोहा-. सोरठ रो दूहो भलो, कपड़ो भलो रे सफेद।
ठाकर तो दातार भलो, घोड़ो भलो रे कमेद।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं, लिखियो नी जाय ।।टेर।।
सात समन्द री रामा स्याही मंगा दूं रे, कलम करूं वनराय।।1।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं...............................
कलम भरूं तो रामा कर म्हारा कांपै रे, नैणों में रह्यो जल छाय।।2।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं..................................
प्राणपति तो म्हारा अजहू नी आया रे, कानूड़ा ने दीजो समझाय।।3।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं.................................
बाई मीरां गावै प्रभु गिरधर रा गुण रे, चरण कंवल लिपटाय।।4।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं..................................
3. भीलणी थारे द्वारे आया
दोहा- रागां रो पति सोरठो, बाजां रो पति बीण
देशां पति है मालवो, शहरां पति उजैण
भीलणी थॉंरे द्वारे आया, श्री भगवान।।टेर।।
वन वन फिरता राम, दोनों भईया रे, आया है शिवरी रो धाम।।1।।
भीलणी थॉंरे द्वारे..................................
आसन बिछायी रामा परकमा दीनी रे, बैठा बैठा लिसमण राम ।2ं।।
भीलणी थॉंरे द्वारे..................................
चरण खोळ रामा चरणामृत लीनो रे, लुळ लुळ करे है प्रणाम ।।3।।
भीलणी थॉंरे द्वारे...................................
सरजू रो नीर रामा निर्मल कीनो रे, सारे सारे ऋषियों रा काम ।।4।।
भीलणी थॉंरे द्वारे.......................................
तुलसी दास रामा भीलणी बड़ भागण रे शिवरी रटियो रामजी रो नाम ।।5।।
भीलणी थॉंरे द्वारे..........................................