राजस्थान की सांस्कृतिक परम्पराएँ

सत्संग भजन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सत्संग भजन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 16 अगस्त 2023

म्हे तो उन संतो रो दास

में तो उण रे सन्तो रो कहिजूँ दास,

जिन्होंने मन मार लिया। टेर 

 मन मारया तन वश किया जी,

करी भरमाना दूर।

बाहर तो कुछ दिखत नाही,

अंदर झलके वारे नूर।। 1 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

आपा मार जगत में बैठा

नहीं किसी से काम।

उण में तो कुछ अंतर नाही,

संत कहो जी चाहे राम।। 2 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

प्याला पिया प्रेम का जी,

छोड्या जग का मोह।

म्हाने सतगुरु ऐसा मिलिया,

सहजा ही मुक्ति होय।। 3 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

नरसी जी रा सिमरथ सामी,

दिया अमी रस पाय।

एक बून्द सागर में रळगी,

क्या करे रें यमराज।। 4 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

सतगुरु चरणे जाय

 सतगुरु चरणे जाय हरि गुण गाणा 

सतगुरु शरणे जाय हरि गुण गाणा

अवसर वितों जाय देर नी करणा ॥ टेर ।।

नर नारायण री देह मुश्किल मिलणा।

सत को लेवो विचार असत को हरणा ॥ 1 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर

तेरा धन जोबन परिवार अटे नी रेणा।

जातो नी लागे वार साच सुण लेना। 2 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर

माया रो अभिमान कभी नी करणा।

जो करेला अभिमान चौरासी में पड़ना ॥ 3 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर

उतरोला भव सू पार लेवो गुरु चरणा।

सच केवे इशर राम यू भव सू तरणा ।। 4 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर


लागे मोहे राम प्यारा

 लागे ओ माने राम पियारा रे।

प्रीत तजी संसार की मन हो गया न्यारा रे,

लागे ओ माने राम पियारा रे।। टेर  ।।

सतगुरु शब्द सुणाविया, गुरू ज्ञान विचारा रे।

भ्रम तिमर सब भागिया, होवे घट उजियारा रे ।।1।।

            लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर 

मैं बंदा उस ब्रह्म का ज्यारा वार नी पारा रे ।

ताहिं भजे कोई साधवा जिने तन मन वारा ओ ।।2।।

           लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर 

चाख चाख फल छोडिया माया रस खारा रे ।

राम अमि रस पिजिए नित वारमवारा रे ।। 3 ।।

           लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर 

आन देव ने ध्यावसी ज्योरे मुख सारा रे ।

राम निरंजन ऊपरे किया मन ने न्यारा रे ।। 4 ।।

लागे ओ माने राम पियारा रे

रविवार, 13 अगस्त 2023

भली करी गुरु दाता

 गुरु महिमा भजन

भली करी गुरु दाता, जिव राख्यो चौरासी में जाता।

भूलू नहीं लाखो बाता, म्हारे गुरु वचनो रा नाता।। टेर।।

करम गली में आयो, करमां सु काठो लगायो।

गुरु बचा लियो दोनूं हाथां , म्हारे गुरु वचनो रा नाता।।1।।

        भली करी गुरु दाता..............टेर

पगां तणो पांगलियो, म्हारा सतगुरु हेलो सांभळियो।

नहीं तो रन वन में रह जाता, म्हारे गुरु वचनो रा नाता।।2।।

       भली करी गुरु दाता..............टेर

आँख्यां छतो अंधारो, गुरु भूण्डो हाल हमारो।

सत्संग रा खेल बताया म्हारे गुरु वचनो रा नाता।।।3।।

       भली करी गुरु दाता..............टेर

मोह माया री नदी है भारी, जिण में बह गयो कई वारि।

गुरु बचा लियो बह जाता, म्हारे गुरु वचनो रा नाता।।।4।।

       भली करी गुरु दाता..............टेर

सतगुरु सेण बताई, साधु सिमरथ राम सुधि पाई।

गुरु चरणों में माथा रे, म्हारे गुरु वचनो रा नाता।।5।।

       भली करी गुरु दाता..............टेर

सतगुरु ने बलिहारी

 राजस्थानी गुरु महिमा भजन

दोहा - सतगुरु बिना सोझी नहीं, सोझी सब घट माय।

        रज्जब मक्की रा खेत री, चिड़ियां ने गम नाय।।

टेर - बंधन काट किया निज मुक्ता, सारी विपदा निवारी, 

       जाऊँ म्हारा सतगुरु ने बलिहारी।।

वाणी सुणत प्रेम सुख उपज्या, दुर्मति गयी हमारी।।

भरम करम रा साँचा मेटिया, दीना कपाट उघाड़ी।।1।।

              जाऊं म्हारा सतगुरु ने .............. टेर

माया ब्रह्म रा भेद समझाया, सोहम लिया विचारी।

आद पुरुष घट भीतर देखिया, दुविधा दूर विदारी।।2।।

              जाऊं म्हारा सतगुरु ने .............. टेर

दया करी म्हारा सतगुरु दाता, अबके लिया उबारी।

भव सागर सूं डूबत तारयो, एड़ा पर उपकारी।।3।।

              जाऊं म्हारा सतगुरु ने .............. टेर

गुरु दादू रे चरण कमल पर, मेलू शीश उतारी।

और भेंट क्या कर राखूं, सुन्दर भेंट तुम्हारी।।4।।

              जाऊं म्हारा सतगुरु ने .............. टेर


गुरुजी पाय लागूं सबद सुनाय दीजो

 गुरु महिमा भजन

गुरुजी पाय लागूं सबद सुनाय दीजो।

सुनाये दीजो समझाये दीजो, गुरुजी पाए लागू

सबद सुनाये दीजो ।। टेर ।।

जल की लहर उठे म्हारे दिल मे, 

    तन री तपन बुझाये दीजो।। 1।।

               गुरुजी पाए लागूं ............ टेर

घट में अंधेरो दाता, बाहर नही सूझे,

      शबदो री जोत जगाये दीजो।।2।।

               गुरुजी पाए लागूं ............ टेर

असंग जुगों रो सूतो म्हारो हँसलो,

      सुतोड़ा ने आय जगाये दीजो।।3।।

               गुरुजी पाए लागूं ............ टेर

धरमी दास री अरज वीणती,

     काग सूं हंस बनाये दीजो।।4।।

               गुरुजी पाए लागूं ............ टेर


राम भजो विश्वास राखजो

 राम भजो विश्वास राखजो, सायब भीडू थांको राम भजो डर काहे को ।।टेर।। श्रीयादे मात सेवा में बैठा,ध्यान धरे धणीयो को चार बर्तन प्रभु कोरा राखिया...