लागे ओ माने राम पियारा रे।
प्रीत तजी संसार की मन हो गया न्यारा रे,
लागे ओ माने राम पियारा रे।। टेर ।।
सतगुरु शब्द सुणाविया, गुरू ज्ञान विचारा रे।
भ्रम तिमर सब भागिया, होवे घट उजियारा रे ।।1।।
लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर
मैं बंदा उस ब्रह्म का ज्यारा वार नी पारा रे ।
ताहिं भजे कोई साधवा जिने तन मन वारा ओ ।।2।।
लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर
चाख चाख फल छोडिया माया रस खारा रे ।
राम अमि रस पिजिए नित वारमवारा रे ।। 3 ।।
लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर
आन देव ने ध्यावसी ज्योरे मुख सारा रे ।
राम निरंजन ऊपरे किया मन ने न्यारा रे ।। 4 ।।
लागे ओ माने राम पियारा रे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें