धेन दास ब्राह्मण की कथा [हिन्दी मे ]
मेहर हुई जद मेले मिलियो, परमेश्वर म्हाने पुत्र दियो।
लागा पाप पुरबला भव रा, पुत्र पियाणो सुरग कियो।। 1
धेनदास मति करो कलपना, इण मारण संसार गियो।।
जनम मरण रा आदू मारग, भोळिया भगत म्हारो मान कहयो।। टेर ।।
पत्नि आय पास में बैठी, भोमि पर पोढाय दियो।
धेनो ध्यान धरियों धणियों रो, गोविन्द उपर गुस्सो कियो।। 2
धेनदास मति करो कलपना ................................
सारी रैण गहण ले बैठो, सैठो मतो सधीर कियो।
पौ फाटी पाडोसी आया, दागण रो सैमोन कियो।। 3
धेनदास मति करो कलपना ................................
धैनो केवे धीरप थे धारो, थे पिछतावो कियों कियो।
म्हारे पुत्र ने म्हे ही दागूंला। कै दागेला जिणे दियो।। 4
है विश्वास भरोसो भारी, अलख उणायत पूरेला।
पत राखी पैलाद ने उबारियो, वो ही पुत्र ने तारेला।। टेर ।।
अलख पुरी से आया अविनाशी, झट ब्राहमण रो वेश कियो।
धेनदास रे धाम पधारया, धिक धेना मुरदो दागण नीं दियो।। 5
धेनदास मति करो कलपना ................................
धेनो कैवे धिरक हैं उणने, जिकण म्हाने पुत्र दियो।
दियो तो पाछो क्यूं लियो, इण कारण मुरदो दागण ना दियो। 6
है विश्वास भरोसो भारी .....................................
वे माता ज्यारे दाणो दळती, नव ग्रह जिणरे लिखिया पटे।
चांद सूरज मैहलों रा दिवला, दश मस्तक वालो रावण कठै।। 7
धेनदास मति करो कलपना ................................
मंजारी नेवा में ब्याही, नेवा में अगनी लगाय दियो।
हाथ जोड़ सरिया दे रटियो, अग्नि में बाग लगाय दियो।। 8
है विश्वास भरोसो भारी .....................................
साठ हजार पुत्र सागर रे होता, पीतो नीर नित नयो नयो।
एक पलक में धरती गिट गयो, जगत पति सूं धेना कुण जीतियो।। 9
धेनदास मति करो कलपना ................................
गज और ग्राह लड़े जल भीतर, ग्राह गज ने दबाय लियो।
रति एक सूढ रही जल बाहर, अर्द्ध नाम उबार लियो।। 10
है विश्वास भरोसो भारी .....................................
हरिचन्द्र राजा राणी तारादे, काशी नगर में कुटुम्ब बिकियो।
रोहिताश ने विषधर डसियो, कुण मेटे धेना करम लिखियो।। 11
धेनदास मति करो कलपना ................................
झूठो कलंक तारा ने लागो, सिर काटण रो हुकम दियो।
हरिचन्द तेग वेग ले कोपियो, पड़ियो पैला पकड़ लियो।। 12
है विश्वास भरोसो भारी .....................................
भीम सरीखा बलवन्त जोधा, जेठळ सरीखा सती सुत जाया।
पांच पुत्र कुन्ता रा गलिया, अमर पट्टो धेना कुण लाया।। 13
धेनदास मति करो कलपना ................................
इन्दर गयो गौतम रे महलां, अहिल्या ने प्रभु श्राप दियो।
जाय पापणी पत्थर होई जा, पत्थर में प्रभु प्राण दियो।। 14
है विश्वास भरोसो भारी .....................................
अभिमन्यु सीखियो अधूरी विद्या, चक्रव्यूह मे जाय पड़ियो।
राजा अर्जुन राणी सहोदरा, रोय रोय कितरो रूदन कियो।। 15
धेनदास मति करो कलपना ................................
अधर आकाशां सिकरे हेरियो, तले शिकारी तीर लियो।
प्रभु प्राण पपीहे ने दीनो, सिकरा ने तीर सू घायल कियो।। 16
है विश्वास भरोसो भारी .....................................
माता पेपावती पिता जुगजीता, श्रवण जैसा पुत्र हुता।
मामा रे हाथ भाणेजो मारियो, एड़ा पुत्र धेना हुआ किता।। 17
धेनदास मति करो कलपना ................................
साहू सिमन चोरी कर चाल्या, सिमन सुत पकड़ीज गयो।
काट्योड़ो शीश सूली पर पड़ियो, सूली पर सरजीत कियो।। 18
है विश्वास भरोसो भारी .....................................
लेकर लाश चौवटे न्हाटो, जाय बाजारों वेदो कियो
पुत्र लेय जननी ने दे दे, थारो पुत्र धेना नहीं मुओ 19
धेनदास मति करो कलपना ................................
ब्राहमण कुल भगत कैवायो, धिन धेना थे भजन कियो।
करणी काज गोविन्द घर आया, मरियोड़ो पुत्र जिवाय दियो।। 20
धेनदास मति करो कलपना ................................
अलख निरंजन भव दुख भंजन, गोविन्द रा गुण गावेला।
बगसीराम कैवे वो ही साधु अमर धाम वो पावेला।। 21
धेनदास मति करो कलपना ................................
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