सोला संतोषी पेरिया ज्ञान गेरू में रंगिया।
सुमता री चादर ओढ, अंग पे भभूत रमाया।।1।।
वणिया वैरागी हरि नाम रा हरि गुण होरे गुण गाय
सतगुरु म्हां पर मेहर करी,गुरू माने ज्ञान बताया रे हा
मन रा कीना मणकला तन डोरा में पोया।
घट में माला फेरता नाम निगे कर जोया ॥2।।
वणिया वैरागी हरि नाम रा .......... टेर
शील लंगोटा हेरिया खमिया पावडी चढिया।
जरणो री झोली डाल दी निर्गुण रोटी लाया ॥3।।
वणिया वैरागी हरि नाम रा .......... टेर
दया धर्म री आ मंडली तीन पाँच समझाया।
बगसो खाती बोलियाँ इण विध जोग कमाया ॥4।।
वणिया वैरागी हरि नाम रा .......... टेर
यह भी देखें -
1. https://rajasthanigeetbhajan.blogspot.com/2023/08/blog-post_33.html
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