राजस्थान की सांस्कृतिक परम्पराएँ

शनिवार, 19 अगस्त 2023

रमता रावल आया

 रमता रावल आया शहर मे

शहर में रमता रावल आया,जुना जोगी आया। टेर।

पाँचों रा भूप पच्चीसो न्याति एक जरणी रा जाया।

गुण अवगुण से न्यारा खेले अपना रूप  छिपाया॥1।।

          शहर में रमता रावल आया........ टेर

कुण घर सोवो कुण घर जागो कुण में रे वो समाया।

किये पुरूष रा ध्यान धरो,किणे थाने शब्द सुणाया ॥2।।

          शहर में रमता रावल आया........ टेर

सहि घर सोवो भौण घर जागो सुन में रेवो समाया।

अलख पुरुष रा ध्यान धरा सतगुरु शब्द सुणाया ।।3।।

          शहर में रमता रावल आया........ टेर

जागा वो नर प्रेम पद पाया सुतोड़ा ने जम ले जाया।

कहत कबीर सुणो भाई संतों अगम संदेशों लाया ॥4।।

          शहर में रमता रावल आया........ टेर

भलो वै ला भगवत ने भजियों

 सरियादे मात सेवा में बैठा विलखी फिरे मंजारी,

के तो बसिया परा उबारो, काया होम दूं मारी, 

रोम रो राख भरोसो भारी ।।1।।

टेर:-भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने

सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

 ध्रुव पेहलाद जुगत कर झाली, झाली सेवना तुमारी,

भगतो रे काज भूप ने दलिया नरसिंग रूप थे धारि।।2।।

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

चढ़िया राम लूटन गढ़ लंका पल में लंका जारी,

रावण मार विभीषण थापियो, प्रीत आगली पाली।।3।।

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

गज अरु ग्राह लड़े जल भीतर लड़त लड़त गज हारी, 

तल भर सूंड रही जल बाहर रामो राम पुकारी

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

सुनी पुकार वार सढिया गज री , गरुड़ तणी असवारी

सकर चलाय हरी फंद कटिया, डूबत गज ने तारी

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

इंदर कोप कियो बृज ऊपर बरसिया मूसल धारी,

गोप ग्वालियो ने तार लिया,केवाया आप गिरधारी 

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

इतरो देख विस्वास झालीयो झेली सेवना तुमारी 

गुरु खिवजी माली लिख्मोजी बोले,भव संगरिया में तारी 

राम रो राख भरोसो भारी

भलो वे ला भगवत ने भजियो भलो वेला साहेब ने सिमरिया ,सोइ भजो नर नारी राम रो राख भरोसो.....

कहणा सुण ले मेरा

 मन थू कैणा कर ले गुरो रा,

जो तुम केणा करो गुरो रा कट जावे,

बंधन तेरा मन रे केणा सुण ले मेरा।। टेर ।।

अवगुण तजो गुण ने पकडो मिट जाई घोर अंधेरा।

सुरत शब्द से तार मिलावो रे कटे जन्म रा फेरा ।। 1 ।।

              कहणा सुण ले मेरा ............ टेर

निन्द्रा झुठ कपट ने त्यागो नहीं आवे जमडा नेडा।

सतरी संगत चेतन रेणा वटे अमिरस वरसे गेरा ॥2।।

              कहणा सुण ले मेरा ............ टेर

उंडा उंडा नीर अतंग जल भरिया है अम्रत वेरा।

सुगरा वो भर भर पीव नुगरो रा खाली फेरा ॥3।।

              कहणा सुण ले मेरा ............ टेर

आगली पाछली कर ले खबरिया क्या तेरा क्या मेरा ।

हेमनाथ सुणो भाई संतों ज्योरा अमरलोक मे डेरा ॥4।।

              कहणा सुण ले मेरा ............ टेर


बुधवार, 16 अगस्त 2023

म्हे तो उन संतो रो दास

में तो उण रे सन्तो रो कहिजूँ दास,

जिन्होंने मन मार लिया। टेर 

 मन मारया तन वश किया जी,

करी भरमाना दूर।

बाहर तो कुछ दिखत नाही,

अंदर झलके वारे नूर।। 1 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

आपा मार जगत में बैठा

नहीं किसी से काम।

उण में तो कुछ अंतर नाही,

संत कहो जी चाहे राम।। 2 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

प्याला पिया प्रेम का जी,

छोड्या जग का मोह।

म्हाने सतगुरु ऐसा मिलिया,

सहजा ही मुक्ति होय।। 3 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

नरसी जी रा सिमरथ सामी,

दिया अमी रस पाय।

एक बून्द सागर में रळगी,

क्या करे रें यमराज।। 4 ।।

       जिन्होंने मन मार लिया 

मैं तो उन सन्तो रो …............. टेर

एड़ा कोई संत मिले

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले,

  ज्योने देखिया नैण ठरे ।।टेर।।

निर्मल नैण वैण ज्योरा निर्मल

मन माहीं धीरब धरे।।1।।

वारि जाऊ मन रे ऐडा माने सन्त मिले

ज्योने देखिया नैण ठरे

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले

सील संतोष दया मन राखे

जीवो पर दया वे करें।।2।।

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले

ज्योने देखिया नैण ठरे

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले।।

ज्ञान गुणा रा सतगुरु बालद भर लावे

हीरलो रो चुण करें ।।3।।

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले

ज्योने देखिया नैण ठरे

वारि जाऊ मन रे ऐडा माने सन्त मिले

दोय कर जोड़ माली लिखमोजी बोले

भव सू पार करें ।।4।।

वारि जाऊ मन रे ऐड़ा माने सन्त मिले

ज्योने देखिया नैण ठरे

वारि जाऊ मन रे ऐडा माने सन्त मिले


सतगुरु चरणे जाय

 सतगुरु चरणे जाय हरि गुण गाणा 

सतगुरु शरणे जाय हरि गुण गाणा

अवसर वितों जाय देर नी करणा ॥ टेर ।।

नर नारायण री देह मुश्किल मिलणा।

सत को लेवो विचार असत को हरणा ॥ 1 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर

तेरा धन जोबन परिवार अटे नी रेणा।

जातो नी लागे वार साच सुण लेना। 2 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर

माया रो अभिमान कभी नी करणा।

जो करेला अभिमान चौरासी में पड़ना ॥ 3 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर

उतरोला भव सू पार लेवो गुरु चरणा।

सच केवे इशर राम यू भव सू तरणा ।। 4 ।।

      सतगुरु शरणे जाय हरि गुण............ टेर


लागे मोहे राम प्यारा

 लागे ओ माने राम पियारा रे।

प्रीत तजी संसार की मन हो गया न्यारा रे,

लागे ओ माने राम पियारा रे।। टेर  ।।

सतगुरु शब्द सुणाविया, गुरू ज्ञान विचारा रे।

भ्रम तिमर सब भागिया, होवे घट उजियारा रे ।।1।।

            लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर 

मैं बंदा उस ब्रह्म का ज्यारा वार नी पारा रे ।

ताहिं भजे कोई साधवा जिने तन मन वारा ओ ।।2।।

           लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर 

चाख चाख फल छोडिया माया रस खारा रे ।

राम अमि रस पिजिए नित वारमवारा रे ।। 3 ।।

           लागे ओ माने राम पियारा रे ........ टेर 

आन देव ने ध्यावसी ज्योरे मुख सारा रे ।

राम निरंजन ऊपरे किया मन ने न्यारा रे ।। 4 ।।

लागे ओ माने राम पियारा रे

राम भजो विश्वास राखजो

 राम भजो विश्वास राखजो, सायब भीडू थांको राम भजो डर काहे को ।।टेर।। श्रीयादे मात सेवा में बैठा,ध्यान धरे धणीयो को चार बर्तन प्रभु कोरा राखिया...