राजस्थान की सांस्कृतिक परम्पराएँ

रविवार, 26 जनवरी 2020

Lord Shiva Bhajan - Bhaj Nimbesar maharaj (भज निम्बेसर महाराज)

                      शिवजी के भजन                         

भज नीम्बेसर महाराज निरंजन नीको, निरंजन नीको,
म्हें धरूं हिरदे में, ध्यान सदा शिवजी को ।

इक रट रट रावण जाय सेवना कीनी, सेवना कीनी,
जब प्रसन्न भये महाराज लंका लिख दीनी ।।1।।
             भज नीम्बेसर महाराज.......................

एक कानों में कुण्डल जोत जगामग झलके, जगामग झलके,
ज्यारे मस्तक उपर भाल चन्द्रमा भलके ।।2।।
             भज नीम्बेसर महाराज.......................

इक  बागाम्बर की शॉल बिछावण बंकी, बिछावण बंकी,
पार्वतों ढोले वाव हाथ गल पंखी ।।3।।
             भज नीम्बेसर महाराज.......................

इक पड़ा भुजंगी नाग सर्प ज्युं काला , सरप ज्यूं काला,
ज्यांरे हिवड़े हडूके हार गले मुण्ड माला ।।4।।
             भज नीम्बेसर महाराज.......................

इस आक धतूरा हैं मुख वासा करके, वासा करके,
पार्वतों पावे भांग का प्याला भरके ।।5।।
             भज नीम्बेसर महाराज.......................

इक कांशी और कैलाश देख कर आया, देखकर आया ,
साण्डेराव में श्याम का दर्शन पाया ।।6।।
             भज नीम्बेसर महाराज.......................

इक लाडू पेड़ा और मिठाई मेवा, मिठाई मेवा,
ज्यांरी सबलसिंह राठौड़ करे नित सेवा ।।7।।
             भज नीम्बेसर महाराज.......................


गुरु महिमा एवं सत्संग भजनों के लिए इस लिंक पर जायें -------
For Rajasthani and Marwadi satsang Bhajan and Guru Mahima Bhajan, Please Click link

https://www.youtube.com/playlist?list=PL2RQ2dSuVG--O0E9RWfgTYLPAvoLUVNL2

शनिवार, 25 जनवरी 2020

राजस्थानी सोरठ और प्रभाती भजन लिरिक्स (Rajasthani sorath and prabhati Bhajan Lyrics)

 राजस्थानी सोरठ एवं प्रभाती भजनों का संग्रह 
I  सोरठ राग के भजन

भजन संध्या एवं सत्संगए जागरण में प्रत्येक भजन को समयानुसार एवं प्रसंगानुसार गाया जाता हैं द्य रात्रि के २.०० बजे के पश्चात् जब आधी रात ढल जाती है तब सोरठ राग में भजन गाये जाते हैं | सोरठ राग के सम्बन्ध में एक प्रचलित दोहा इस प्रकार हैं . 


दोहा -  सोरठ राग सुहावणी ए मत छेड़े परभात |
           उड़ता पंछी गिर पड़े ए माता बाळ भुलाय ||
ख्भावार्थ .  सोरठ राग इतनी मीठी ए सुहानी और हृदय को बेधने वाली होती है कि इस राग को सुनकर वैराग्य जाग जाता है य उड़ते हुए पक्षी भी इस राग को सुनकर भाव विह्वल होकर गिर पड़ते हैं और माताएं अपने बच्चों को भूलकर इस राग में मग्न हो जाती हैं| इसलिए इस राग को कभी भी सुबह के समय नही गाना चाहिए ,

मन को भीतर तक झकझोर देने वाली इस सोरठ राग के कुछ लोकप्रिय भजन 





1. किण विद राखेला राम 
दोहा- सोरठ मीठी रागणी, मत छेड़े प्रभात।
         उड़ता पंछी गिर पड़े, कै उठे वैराग।।

 कांई जाणुं किण विद राखेला राम ।। टेर ।।

हरिया डाल दोई पंछी बैठाए रट रह्यो रामजी रो नाम ।1।
कांई जाणुं किण विद ...........................


       नीचे पारधी ने बाण सांधियोए उपर घूमे सुसाण ।2।
       कांई जाणुं किण विद ..............................

      दुष्ट पारधी ने नाग डसियो, सिकरा रे लागो बाण।3।
      कांई जाणुं किण विद .................................


       बाई मीरा गावे प्रभु गिरधर रा गुण, पंछीड़ा रे भयो आराम ।4।
       कांई जाणुं किण विद ............................







2. राम गुण कैसे लिखुं, 


दोहा-. सोरठ रो दूहो भलो, कपड़ो भलो रे सफेद।
          ठाकर तो दातार भलो, घोड़ो भलो रे कमेद।।

हरी रा गुण कैसे लिखुं, लिखियो नी जाय ।।टेर।।
सात समन्द री रामा स्याही मंगा दूं रे, कलम करूं वनराय।।1।।

हरी रा गुण कैसे लिखुं...............................


कलम भरूं तो रामा कर म्हारा कांपै रे, नैणों में रह्यो जल छाय।।2।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं..................................

प्राणपति तो म्हारा अजहू नी आया रे, कानूड़ा ने दीजो समझाय।।3।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं.................................

बाई मीरां गावै प्रभु गिरधर रा गुण रे, चरण कंवल लिपटाय।।4।।
हरी रा गुण कैसे लिखुं..................................





3. भीलणी थारे द्वारे आया


 दोहा- रागां रो पति सोरठो, बाजां रो पति बीण
           देशां पति है मालवो, शहरां पति उजैण

भीलणी थॉंरे द्वारे आया, श्री भगवान।।टेर।।
वन वन फिरता राम, दोनों भईया रे, आया है शिवरी रो धाम।।1।।
भीलणी थॉंरे द्वारे..................................

आसन बिछायी रामा परकमा दीनी रे, बैठा बैठा लिसमण राम ।2ं।।
भीलणी थॉंरे द्वारे..................................

चरण खोळ रामा चरणामृत लीनो रे, लुळ लुळ करे है प्रणाम ।।3।।
भीलणी थॉंरे द्वारे...................................

सरजू रो नीर रामा निर्मल कीनो रे, सारे सारे ऋषियों रा काम ।।4।।
भीलणी थॉंरे द्वारे.......................................

तुलसी दास रामा भीलणी बड़ भागण रे शिवरी रटियो रामजी रो नाम ।।5।।
भीलणी थॉंरे द्वारे..........................................  






शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

Jago shyam manohar Madhav (जागो श्याम मनोहर माधव) - Prabhati Bhajan Lyrics

                          प्रभाती भजन



जागो श्याम मनोहर माधवए भोम डसण रिपु टेर दियो ।

जागो श्याम मनोहर माधव प्रभाती भजन



जागो श्याम मनोहर माधवए भोम डसण रिपु टेर दियो ।

जागो श्याम मनोहर माधव..........................................



1. जल सुत मिंत सुता पति नातीए ता वाहन मिल केल कियो ।

        हरि वाहन के रिप सुत बंधवए अम्बज सुत को दान दियो ।।

                               जागो श्याम मनोहर माधव..........................................




2.  हेम सुता पति ता सुत वाहनए ता भख भखणी वचन कियो ।

        सुरपति वाहन के रिप बन्धवए अपने घर को गमन कियो ।।

                               जागो श्याम मनोहर माधव..........................................




3.  सायर सुता सुत शीतल भयहूंए चार तत्व ज्योति मन्द भयो ।

        सम्पति के रिपु के रिप प्रकटेए रम्भा सुत को मेल भयो ।।

                                जागो श्याम मनोहर माधव ..........................................



4.  उडगण वृन्द गये घर अपनेए दधि सुत को तप तेज गयो ।

         सूर कहे व्याकुल भयी रजनीए काश्यप सुत प्रकाश भयो ।।

                               जागो श्याम मनोहर माधव ..........................................






सोरठ  भजन सुनने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें ......

https://www.youtube.com/watch?v=yNv70ZT2U7M&list=PL2RQ2dSuVG--gybk-k2MHfWZPaccKkWC0

गुरुवार, 23 जनवरी 2020

Rajasthani Sorath Bhajan Lyrics

            सोरठ भजन



सरव सुख तुम भजिये गोपालए

भजियां जावो नन्दलालए सरव सुखए तुम भजिये गोपाल



बाल पणा में कृष्ण सुदामाए पढता एक पोशाल ।

कंचन महल चुणाय दिया रेए हीरा जड़िया दीन दयाल ।।

                       सरव सुख तुम भजिये.....................



इन्द्र कोप कियो ब्रज उपरए बरस्यो मूसलाधार ।

गोपी ग्वालियों ने तार लियो रेए नख पर गिरवर धार ।।

                        सरव सुख तुम भजिये.....................



पत राखी पैलाद रीए ध्रुवजी रो अविचल राज ।

जल डूबतो गजराज उबारियोए सरवर बांधी पाल ।।

                         सरव सुख तुम भजिये.....................



वृन्दावन री कुंज गली मेंए रास रसायो नन्दलाल ।

सब सखियो रे बीच मेंए नाच रह्यो नन्दलाल ।।

        सरव सुख तुम भजिये.....................



आज बृज में आणन्द घणेरोए घर . घर मंगलाचार ।

मीरां दासी चरण श्याम रीए हरि जी लियो अवतार ।।

    सरव सुख तुम भजिये.....................





इस भजन को सुनने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें ...

https://www.youtube.com/watch?v=ujeMUBy7FGQ

राम भजो विश्वास राखजो

 राम भजो विश्वास राखजो, सायब भीडू थांको राम भजो डर काहे को ।।टेर।। श्रीयादे मात सेवा में बैठा,ध्यान धरे धणीयो को चार बर्तन प्रभु कोरा राखिया...